Presenting the Lyrics of the Hindi Poetry “Log Har Mod Pe” sung by Rahat Indori. Hope you would like the poetry.
Log Har Mod Pe Lyrics
लोग हर मोड़ पर
रुक – रुक के संभलते क्यों है??
इतना डरते है तो
फिर घर से निकलते क्यों है??
मैं ना जुगनू हूँ दिया हूँ ना कोई तारा हूँ
रौशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं??
नींद से मेरा ताल्लुक ही नहीं बरसों से
ख्वाब आ-आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं??
मोड़ तो होता हैं जवानी का संभलने के लिये
और सब लोग यही आकर फिसलते क्यों हैं ??
Written By:- Rahat Indori
Poetry Credits
Poetry Title – Log Har Mod Pe
Written By – Rahat Indori
Language: Hindi
Genre: Poetry